एकपाद राजकपोतासन (King Pigeon Pose)
आइए जानते हैं कि कैसे करें एकपाद राजकपोतासन और उससे होने वाले लाभ एवं सावधानियां:
एकपाद राजकपोतासन एक ऐसा योगासन है जो हिप्स के एरिया को प्रभावित करने वाले योगसनों में काफी महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर के नीचले हिस्से को लचीला बनाता है और आपके बट को टोनअप करता है।
एकपाद राजकपोतासन का अभ्यास करने से पहले आप जिन योगासनों का अभ्यास कर सकते हैं वे हैं- बद्धकोणासन, भाराद्वाजासन, गोमुखासन और अर्ध मत्स्येन्द्रासन।
एकपाद राजकपोतासन के अभ्यास का तरीका:
1. अधो मुख श्वानासन या हाथों- कोहनियों की मदद से टेबल टॉप पोजिशन के साथ शुरुआत करें।
2. दाहिने पैर के घुटने को हथेलियों के बीच से लाते हुए ज़मीन पर रखें, बांये पैर को पीछे (पीठ की तरफ) ले जाते हुए ऐसी स्थिति में रखें कि आपके घुटने का ऊपरी हिस्सा आपकी पीठ की तरफ हो और पैर का अग्रभाग ज़मीन की तरफ हो।
3. अपने पैर की उंगलियों के अग्रभाग को ज़मीन पर दबाएं, अपने धड़ को अपनी जांघों से उठाएं और शरीर का सामनेवाला भाग तानें। अपने हिप्स को व्यवस्थित रखते हुए अपना वज़न दाहिने और बाएं हिप्स पर संतुलित करें।
4. अपने शरीर को खींचने की कोशिश करें और फिर शरीर को पीछे की तरफ मोड़ें। यह योगाभ्यास की मध्यस्थिति है, इसलिए एकपाद राजकपोतासन की पूर्ण मुद्रा का अभ्यास करने से पहले कुछ दिनों तक इस स्थिति का अभ्यास करें।
5. जिनके हिप्स और पैर का सामने वाला हिस्सा (हिप के ऊपर का हिस्सा) ज़मीन को छू नहीं पाता वे अपने पैर के नीचे एक कम्बल रख सकते हैं। नियमित अभ्यास से आपके शरीर का लचीलापन बढ़ जाएगा।
6. जब आप सहज होकर बैठने में सक्षम हो जाएंगे, तो आपके वज़न को दोनो हिप्स पर समान रुप से संतुलित करना आसान हो जाएगा, इस स्थिति में पीछे की तरफ थोड़ा और मुड़ने की कोशिश करें और अपने बाएं पैर के घुटने को उठाने की कोशिश करें। अपने बाएं बांह की मदद से बाएं पैर को पकड़े। अगर आप आराम से कर सकते हैं तो दाहिनी बांह को भी पीछे लें और बाएं पैर को दाहिने और बाएं दोनों हाथों की मदद से पकड़ें।
7. दोनों कोहनियां छत की ओर होनी चाहिए, सिर को पीछे की ओर झुका हुआ और पैर सिर को छूना चाहिए। इस मुद्रा में 30 सेकंड से एक मिनट के लिए रहें।
8. बाएं पैर को धीरे से छोड़ते हुए पैर का पिछला भाग ज़मीन पर रखें। अब दूसरी तरफ से अधोमुख श्वानासन में बैठें।
एकपाद राजकपोतासन के फायदे-
1. हिप के जोड़ खोलता है, हिप्स का लचीलापन बढ़ाता है। जांघों और पिरिफॉर्मिस के आसपास की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग होती है।
2. आंतरिक अंगों को उत्तेजित करता है।
3. मूत्र विकार कम करने में मदद करता है।
4. साइटिका जैसे दर्द से राहत दिलाता है।
5. पीठ के निचले हिस्से में दर्द और जकड़न कम करता है।
6. हिप्स की ओपनिंग से डर, तनाव और मानसिक आघात जैसी तरह नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं।
कौन इस आसन का अभ्यास न करे-
घुटने, हिप, टखने या पीठ में चोट से परेशान लोग इस आसन का अभ्यास न करें।
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