सभी बीमारियों के लिए योगासन - Sadhak Anshit

By Sadhak Anshit Yoga Foundation
17th April, 2020

योग आसनों द्वारा रोगों का इलाज की पद्धति बहुत पुरानी है। महान चिकित्सकों और विद्वानों का कथन है कि जितनी भी अन्य चिकित्सा प्रणालियां संसार में हैं, वे सब योग चिकित्सा प्रणाली के बहुत बाद में जन्मी हैं। कहा जाता है कि मानव शरीर में पैदा होने वाली बीमारियों का असंख्यता का अनुमान करके भगवान शंकर ने चौरासी लाख की संख्या में योगासनों की कल्पना की थी।

उनकी कल्पना का आधार संसार के वे सभी प्राणी थे जिनकी विभिन्न आकृतियाँ किसी-न-किसी में मानव के लिए हितकर हो सकती थीं और यही वजह थी कि भगवान शंकर ने उन आकृतियों का मानव शरीर की अनुकूलता से तालमेल बिठाकर उस आकार के मानव अवयवों के रोग निवारण के लिए विधान कर दिया।

योग आसन योग विधा का एर महत्त्वपूर्ण अंग है। व्यायाम की दृष्टि से अगर विचार किया जाए तो यह सभी व्यायाम पद्धतियों से श्रेष्ठ व उपयोगी सिद्ध हुई हैं।

योग की अनेक मुद्राएं सरल हैं। उनके द्वारा बहुत से रोगों का निवारण बहुत आसानी से हो सकता है। रोग विशेष अंग की कमजोरी के कारण होता है। आसन अपनी खिंचाव पद्धति के आधार पर उनसे संबंधित नसों को मजबूत बना देते हैं जिससे उनमें शक्ति बढ़ती है। शक्ति के विकास के साथ-साथ रोग का नाश होता है। अन्य चिकित्सा प्रणालियों में यह दो। है कि वह रोग के लक्षणों को दबा देती हैं जिससे रोग के विषाणु खून के दौरे के साथ घूमते नये रोगों की उत्पत्ति का कारण बन जाते हैं। वे रोगों का निवारण नहीं करतीं और न ही स्वाभाविक रूप से उनसे शक्ति का उदय होता है बल्कि दवाइयों की मदद से अंगों में उत्तेजना पैदा की जाती है जिससे लगता है कि शक्ति आ रही है परन्तु वह शक्ति टैम्परेरी होती है। आसनों द्वारा शक्ति में विकास परमामेन्ट होता है, क्योंकि रोग निवारण का यह प्रकृति प्रदत्त व्यायाम है। उसे अपनाकर कोई भी स्वस्थ, निरोग और दीर्घजीवी बन सकता है।


योगासनों के गुण और लाभ


(1) योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह हैं कि वे सहज साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है।


(2) योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।


(3) आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है।


(4) योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।


(5) योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्न नहीं होतीं।


(6) योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।


(7) योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति तंदरुस्त होता है।

(8) योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।


(9) योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।


(10) योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है।

(11) योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।

(12) योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है, और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।


(13) आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।


(14) आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।


(15) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।


सभी बीमारियों के लिए योगासन के लिए यह वीडियो देखिये 



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