किस बीमारी में कौन सा आसन करे

By Sadhak Anshit Yoga Classes
8th January, 2019

बीमारियों में योगासन: किस बीमारी में कौन सा आसन करे।

जैसा की हम सबको विदित है की विभिन्न बीमारियों में योगासन रोगों को ठीक करने या रोगों से होने वाले कष्टों से आराम दिलाने में सहायक होते हैं।
लेकिन यह भी सच है की हर बीमारी में हर एक योगासन नहीं किया जा सकता और योगासन में हमें विभिन्न सावधानियों एवं नियमों का अनुसरण करना होता है।
इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से विभिन्न बीमारियों में किये जाने वाले योगासनों के नामों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। हालांकि एक स्वस्थ्य मनुष्य हर कोई आसन एवं प्राणायाम कर सकता है लेकिन एक बीमार व्यक्ति को सिर्फ वही आसन करने चाहिए जो उस विशेष बीमारी में किये जा सकते हैं।
बीमारियों में योगासन से न सिर्फ रोग जल्दी ठीक होने की संभावना होती है अपितु व्यक्ति में उस बीमारी से लड़ने के लिए एक नई उर्जा एवं ताकत का भी संचार होता है।

दमा (अस्थमा), श्वास संबंधी बीमारियों में योगासन:

शीर्षासन समूह, सर्वांगासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वीरासन, उष्ट्रासन, पर्यंकासन, पश्चिमोत्तानासन, सुप्त वीरासन, नाडी-शोधन प्राणायाम, सूर्यभेदन प्राणायाम, उड्डियान बंध, योग निद्रा।

हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप):

हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में योगासन की बात करें तो इनमें पद्मासन, पश्चिमोत्तानासन, सिद्धासन, पवनमुक्तासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम (कुंभक को छोड़कर), सीतकारी, सीतली, चन्द्रभेदन प्राणायाम, उज्जायी, योग निद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं । इसके अलावा  शांत भाव से बैठकर ईश्वर का ध्यान करें, एवं हमेशा बगैर तेल-मसाले के शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।

लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप):

निम्न रक्तचाप जैसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति शशांकासन, नाडी-शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका, कपाल-भाति, सूर्य भेदन प्राणायाम,सालंब शीर्षाशन, सर्वागासन, हलासन, कर्ण पीड़ासन, वीरासन सूर्य नमस्कार एवं शवासन जैसे योगासन किये जा सकते हैं |

डायबिटीज़ मधुमेह के लिए योगासन:

डायबिटीज जैसी बीमारी में शीर्षासन एवं उसके समूह, सूर्य नमस्कार, सर्वागासन, महामुद्रा, मंडूकासन मत्यस्येन्द्रासन, शवासन, नाडी-शोधन प्राणायाम इत्यादि किये जा सकते हैं |


सिरदर्द जैसी बीमारियों में योगासन:

सिरदर्द में मार्जारी आसन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम/अनुलोमविलोम प्राणायाम, योग निद्रा, पद्मासन, शीर्षासन, हलासन, सर्वांगसन, पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तासन, वज्रासन इत्यादि किये जा सकते हैं ।

मिर्गी के लिए योगासन:

मिर्गी की बीमारी में हलासन, महामुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, भुजंगासन और बिना कुंभक के नाडी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उज्जायी प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, योग निद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं इनके अलावा बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को  शाकाहारी भोजन एवं  ध्यान करना चाहिए।

माइग्रेन के लिए योगासन:

माइग्रेन अर्थात आधाशीशी जैसी बीमारियों में योगासन के तौर पर शीर्षासन, सर्वागासन, पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन, सिद्धासन, वीरासन, शवासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम, उद्गीथ प्राणायाम, योग निद्रा इत्यादि आसनों में ध्यान लगाया जा सकता है ।

सीने या छाती रोग के लिए योगासन:

सीने या छाती रोग के लिए  पश्चिमोत्तानासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, बकासन, बछद्रकोणासन, चक्रासन, कपोतासन, नटराजासन, पीछे झुककर किए जाने वाले आसन, उज्जायी तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम, योग निद्रा, सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, सर्वांगसन, भुजंगासन, धनुरासन, पदमासन, आकर्ण धनुरासन इत्यादि किये जा सकते हैं।

कमर दर्द के लिए योगासन:

कमर दर्द नामक इस रोग में वे सभी आसन जिनकी क्रिया खड़े होकर पीछे की तरफ़ की जाती है किये जा सकते हैं इनके अलावा सुप्त वज्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन पर्वतासन, सर्वागासन, शीर्षासन, चक्रासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, कपाल-भाति इत्यादि किये जा सकते हैं ।

यादाश्त बढ़ाने के लिए योगासन:

स्मरण शक्ति के विकास अर्थात यादाश्त बढ़ाने के लिए शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वागासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, योग– मुद्रासन, पादहस्तासन, पद्मासन में ध्यान या सिद्धासन में ध्यान, सामान्य त्राटक, शवासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, सूर्य भेदन एवं भस्त्रिका प्राणायाम, योगनिद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं।

पेट के दर्द या पेट के लिए योगासन:

स्टोमक अर्थात पेट दर्द जैसी बीमारियों में योगासन के रूप में शीर्षासन, सर्वांगसन, हलासन, उत्तानासन, वीरासन, सुप्त वीरासन वज्रासन एवं नौकासन किये जा सकते हैं इसके अलावा सरकी नाभि को ठीक करने वाले आसन भी किये जा सकते हैं |

किडनी अर्थात गुर्दा रोग के लिए योगासन:

इस रोग में सूर्य नमस्कार, सर्वागासन, शीर्षासन एवं उसका समूह, हलासन, पश्चिमोत्तानासन, हनुमानासन, कपोतासन, उष्ट्रासन, शलभासन, धनुरासन, अर्ध नौकासन, मत्स्येन्द्रासन, भुजंगासन इत्यादि किये जा सकते हैं ।

नपुंसकता दूर करने वाले आसन:

योगासन के तौर पर शीर्षासन एवं उसके समूह, सर्वांगासन, उत्तानासन, पश्मिोत्तानासन,महामुद्रासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, हनुमानासन, कपाल–भाति, अनुलोम-विलोम, नाड़ी-शोधन प्राणायाम अंतकुंभक के साथ, उड़ियान बंध, वज्रोली मुद्रा एवं विपरीतकरणी मुद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं |

आलस्य को भागने वाले योगासन:

शीर्षासन, सर्वागासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायामबी इत्यादि ऐसे आसन एवं प्राणायाम हैं जो आलस्य को दूर करने में सहायक हैं।

दस्त अर्थात पेचिश के लिए योगासन:

दस्त एवं पेचिश जैसी बीमारियों में योगासन के तौर शीर्षासन और उसके समूह, सवाँगासन, जानुशीर्षासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम इत्यादि किये जा सकते हैं ।

आँत के अल्सर के लिए योगासन:

आंत के अल्सर में शीर्षासन एवं उससे सम्बंधित समूह, सर्वागासन, पश्चिमोत्तानासन, योग निद्रा, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, उज्जायी एवं नाड़ी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उड़ियान बंध इत्यादि योगासन किये जा सकते हैं।

पेट के अल्सर के लिए योगासन:

पेट के अल्सर के लिए वज्रासन, मयूरासन, नौकासन, पादहस्तासन, उत्तानासन, पादांगुष्ठासन, शलभासन इत्यादि आसन किये जा सकते हैं।

हार्निया के लिए योगासन:

हर्निया नामक बीमारी को ठीक करने में शीर्षासन एवं उसका समूह, सवाँगासन, आकर्ण धनुरासन इत्यादि योगासन सहायक होते हैं ।

अण्डकोष वृद्धि के लिए योगासन:

इसमें शीर्षासन एवं उनका समूह, सर्वागासन, हनुमानासन, समकोणासन, वज्रासन, गरुड़ासन, पश्चिमोत्तासन, बढ़ कोणासन, योग मुद्रासन, ब्रह्मचर्यासन, वात्यनासन इत्यादि किये जा सकते हैं ।

हृदय के दर्द के लिए योगासन:

ह्रदय दर्द एवं ह्रदय विकार जैसी बीमारियों में योगासन के तौर पर शवासन, उज्जायी प्राणायाम बिना कुंभक के, योग निद्रा, सुखासन में ध्यान या शवासन में ध्यान, एवं नाड़ी-शोधन प्राणायाम इत्यादि किये जा सकते हैं।

कब्ज, गैस, अजीर्ण इत्यादि के लिए योगासन:

कब्ज, गैस बनना, अजीर्ण, मल निष्कासन में परेशानी, अम्लता एवं वात रोग, दुर्गधित श्वास इत्यादि बीमारियों में योगासन के रूप में शीर्षासन व उसका समूह, सर्वागासन, नौकासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्येन्द्रासन,धनुरासन, भुजंगासन, मयूरासन, योग मुद्रासन, उन्न्तासन, पदमासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन व इससे संबंधित आसन, त्रिकोणासन, महामुद्रा, शलभासन, मत्स्यासन, अर्ध चंद्रासन, शशांकासन, पादांगुष्ठासन एवं शंखप्रक्षालन वाले आसन एवं खड़े रहकर होने वाले सभी आसन किये जा सकते हैं।

जोड़ो के दर्द, गठिया के लिए योगासन:

जोड़ो के दर्द, गठिया, संधिवात इत्यादि जैसी बीमारियों में योगासन के तौर पर शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वागासन, पद्मासन, सिद्धासन, वीरासन, पर्यकासन, गौमुखासन, उत्तानासन एवं पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ की जा सकती हैं।

पायरिया एवं चेहरे की ताजगी के लिए योगासन:

दाँत, मसूढ़े, पायरिया, गंजापन, चेहरे की ताज़गी, झुर्रिया व सामान्य आँख की बीमारियों के लिए शीर्षासन एवं उसका समूह, सवाँगासन, हलासन, विपरीतकरणी मुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन, वज्रासन, भुजंगासन, सूर्य नमस्कार, सिंहासन, दृष्टि वर्धक यौगिक अभ्यासावली एवं सिर के बल किए जाने वाले सभी आसन किये जा सकते हैं।

मोटापा दूर करने के लिए योगासन:

मोटापा कम करने या दूर करने के लिए विशेष तौर पर उर्जादायक खास आसन एवं क्रियाएँ, सूर्य नमस्कार, शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वागासन, हलासन, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ विपरीतकरणी मुद्रा एवं वे सभी आसन जो पेट सम्बंधित रोग व अजीर्णता के लिए हैं किये जा सकते हैं | मोटापा कम करने के लिए आहार का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।

फेफड़े के लिए योगासन:

फेफड़े के लिए शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वागासन, पद्मासन, सूर्य नमस्कार, लोलासन, वीरासन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन, चक्रासन, धनुरासन, अंतकुंभक के साथ सभी प्राणायाम किये जा सकते हैं।

कमर दर्द एवं सर्वाइकल पेन के लिए योगासन:

कमर दर्द, सर्वाइकल पेन, स्लिप डिस्क, साइटिका, स्पाँन्डिलाइटिस इत्यादि के लिए   खड़े रहने की क्रिया के और पीछे झुकने वाले आसन जैसे – भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, उत्तानपादासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, गौमुखासन, ताडासन, उत्कटासन, मकरासन इत्यादि किये जा सकते हैं |

हाइट अर्थात लम्बाई बढ़ाने के लिए योगासन:

शरीर की लंबाई बढ़ाने के लिए ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, धनुरासन, हलासन, सर्वागासन एवं पश्चिमोत्तानासन जैसे योगासन किये जा सकते हैं।

लकवा एवं पोलियो बीमारियों में योगासन:

यद्यपि लकवा एवं पोलियो जैसी बीमारियों में बेहतर यही होता है की रोगी की स्थिति का पता लगाकर किसी डॉक्टर से सलाह लेकर किसी प्रशिक्षित योग गुरु की देखरेख में योग क्रियाएं करवाई जाएँ क्योंकि पोलियों नामक यह बीमारी सामान्य तौर पर जन्म से ही होती है जबकि लकवा कभी हो हो सकता है बाल्यावस्था या उसके बाद इसलिए बीमारी कितनी पुराणी है उस आधार पर आयुर्वेदिक दवाओं के साथ योग क्रियाएं करना इन बीमारियों में फायदेमंद हो सकता है | इन बीमारियों में शलभासन, धनुरासन, मकरासन, भुजंगासन, पदमासन, सिधासन, कन्धरासन, हलासन, सर्वागासन, शवासन, उज्जायी तथा नाडी-शोधन प्राणायाम लाभकारी हो सकते हैं ।

खून की कमी के लिए योगासन:

खून की कमी या रक्त अल्पता में शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वागासन, पश्चिमोत्तानासन, सूर्य नमस्कार, उज्जायी प्राणायाम, नाडीशोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम इत्यादि फायदेमंद हो सकते हैं ।

गुदा सम्बन्धी रोगों के लिए योगासन

गुदा से सम्बन्धित रोग जैसे बवासीर, भगन्दर, फिशर इत्यादि बीमारियों में योगासन के तौर पर शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगसन, हलासन, विपरितिकरण मुद्रा, मत्स्यासन, सिंहासन, शलभासन, धनुरासन, बिना कुंभक के उज्जायी, तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम इत्यादि किये जा सकते हैं ।

खाँसी के लिए योगासन:

खांसी के लिए शीर्षासन एवं उसका समूह, सवांगासन, उत्तानासन, पश्चिमोत्तानासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन इत्यादि किये जा सकते हैं और यदि खांसी जुकाम के साथ है तो सूर्यनमस्कार भी किया जा सकता है।

अनिद्रा, चिंता, निराशा, दूर करने के लिए योगासन:

अनिद्रा, चिंता,उन्माद, निराशा एवं मानसिक दुर्बलता को दूर करने सहायक आसन सूर्य नमस्कार एवं उसका समूह, सर्वांगसन, कुर्मासन, पश्चिमोत्तासन,शशांकासन, योगमुद्रा, उत्तानासन बिना कुंभक के भस्त्रिका, नाड़ी-शोधन तथा सूर्य भेदन प्राणायाम साथ में भ्रामरी, मूच्छां, शीतली एवं सीतकारी प्राणायाम एवं योगनिद्रा किये जा सकते हैं |

मासिक धर्म में अनियमितता के लिए योगासन:

मासिक धरम में अनियमितता एवं अंडाशय से सम्बंधित बीमारियों में योगासन के तौर पर सर्वागासन, भुजंगासन, वीरासन, वज्रासन, शशांकासन, मार्जरी आसन, योग– निद्रा, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, मूलबंध, उड्डीयान बंध,विपरीतकरणी, वज्रोली मुद्रा, योनिमुद्रा एवं योग मुद्रासन किये जा सकते हैं । यदि मासिक स्राव अधिक हो रहा हो तो उसके लिए बद्ध कोणासन, जानुशीर्षासन, पश्चिमोत्तानासन, उन्न्तासन एवं पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ की जा सकती हैं |

मूत्र सम्बन्धी रोगों के लिए योगासन:

पौरुष ग्रन्थि, पेशाब-विकृति जैसी बीमारियों में योगासन के तौर पर शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वागासन, हलासन, शलभासन, धनुरासन, उत्तानासन, नौकासन, सुप्तवज्रासन, बद्ध कोणासन, उड़ियान, नाड़ी-शोधन इत्यादि किये जा सकते हैं ।

स्वप्नदोष के लिए योगासन:

स्वप्नदोष के लिए शीर्षासन से सम्बंधित आसन समूह, सवाँगासन, पश्चिमोत्तानासन, बद्ध कोणासन, मूलबंध, वज्रोली मुद्रा, योनि मुद्रा, नाडी-शोधन प्राणायाम किये जा सकते हैं | इसके अलावा स्वप्नदोष से ग्रसित व्यक्ति को अच्छी सोच बनाये रखना नितांत आवश्यक है और  रात्रि को शीतल जल से हाथ पैर धोकर सोया जा सकता है ।

गर्भावस्था में किये जाने वाले योगासन:

गर्भावस्था के दौरान बेहद हलके व्यायाम पवनमुक्तासन सम्बन्धी आसन एवं बिना कुम्भक के प्राणायाम, उचित प्रशिक्षक की देखरेख में किये जा सकते हैं |

बाँझपन के लिए योग:

बांझपन में सर्वागासन, हलासन, पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन या सिद्धासन, चक्रासन, गरुड़ासन, वातायनासन, सभी मुद्राएँ जैसे वज़ोली मुद्रा, योनि मुद्रा, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम इत्यादि लाभकारी होते हैं ।

गले की तकलीफ के लिए योगासन :

मत्स्यासन, सिंहासन, सुप्त वज्रासन और सर्वांगासन।

पथरी के लिए योग:

मत्स्येंद्रासन, मत्स्यासन, तोलांगुलासन और वज्रासन।


योगासन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए वैसे तो यह जानकारी हम अपने पुराने लेख में दे चुके है फिर भी यहाँ संक्षेप में जान लेते है |

योग कहां और कैसे करें?

•खुली एवं ताजी हवा में योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर ऐसा न हो, तो किसी भी खाली जगह पर आसन किए जा सकते हैं।

•जहां योगासन करें, वहां का माहौल शांत होना चाहिए। वहां शोर-शराबा न हो। उस स्थान पर मन को शांत करने वाला संगीत भी हल्की आवाज में चलाया जा सकता हैं।

•सीधे फर्श पर बैठकर योगासन न करें। योगा मैट, दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन कर सकते हैं।

•योगासन करते समय सूती के या थोड़े ढीले कपड़े पहनना बेहतर रहता है। 
टी-शर्ट या ट्रेक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते हैं।

•आसन धीरे या फिर तेजी से-दोनों तरह से करना फायदेमंद होता है। जल्दी करें तो वह दिल के लिए अच्छा रहता है और धीरे करेंगे तो वह मांसपेशियों के लिए बेहतर रहता है तथा इससे शरीर को भी काफी मजबूती मिलती है।

•ध्यान आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उस हिस्से पर लगाएं, जहां आसन का असर हो रहा है, जहां दबाव पड़ रहा है। पूरे भाव से करेंगे, तो उसका अच्छा प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा।
•योग में सांस लेने एवं छोड़ने की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका सीधा-सा मतलब यही होता है कि जब शरीर फैलाएं या पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या फिर आगे की तरफ झुकें तो सांस छोड़ते हुए ही झुकें।

योग आसन कब करना चाहिए ?

•आसन सुबह के समय करना ही सबसे अच्छा होता है। सुबह आपके पास समय नहीं है, तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं। 
यह ध्यान रखें कि आपका पेट न भरा हो। 
भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्का नाश्ता लेने के 1 घंटे बाद योगासन कर सकते हैं। चाय-छाछ आदि पीने के आधे घंटे बाद और पानी पीने के 10-15 मिनट बाद आसन करना बेहतर रहता है।

ये सावधानियां भी बरतें:

•योग में विधि, समय, निरंतरता, एकाग्रता और सावधानी जरूरी है।

•कभी भी आसन झटके से न करें और उतना ही करें, जितना आसानी से कर पाएं। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

•कमर दर्द हो तो आगे न झुकें, पीछे झुक सकते हैं।

•अगर हार्निया हो तो पीछे न झुकें।

•दिल की बीमारी हो या उच्च रक्तचाप हो तो तेजी के साथ योगासन नहीं करना चाहिए। शरीर कमजोर है, तो फिर योगासन आराम से करें।
3 साल से कम उम्र के बच्चे योगासन न करें। 
3 से 7 साल तक के बच्चे हल्के योगासन ही करें। 

•7 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे हर तरह के योगासन कर सकते हैं।

•गर्भावस्था के दौरान मुश्किल आसन और कपालभाति बिलकुल भी न करें। महिलाएं मासिक धर्म खत्म होने के बाद, प्रसवोपरांत 3 महीने बाद और सिजेरियन ऑपरेशन के 6 महीने बाद ही योगासन कर सकती हैं।

ये गलतियां बिलकुल न करें:

•किसी भी आसन के फाइनल पॉश्चर (अंतिम बिंदु) तक पहुंचने की जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें, अगर आपका तरीका थोड़ा-सा भी गलत हो गया, तो फिर अंतिम बिंदु तक पहुंचने का कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला है। 
मसलन, हलासन में पैरों को जमीन पर लगाने के लिए घुटने मोड़ लें, तो बेकार है। जहां तक आपके पैर जाएं, वहीं रुकें, लेकिन घुटने सीधे रखें।

•योगासन करते हैं, तो फिर आपको खाने पर नियंत्रण करना भी जरूरी होता है। अगर आप अत्यधिक कैलोरी और अत्यधिक वसा युक्त वाला खाद्य-पदार्थ या फिर तेज मिर्च-मसाले वाला खाना खाते रहेंगे तो फिर योग का कोई खास असर नहीं होने वाला है।

•जब भी किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए योगासन करें, तो विशेषज्ञ से पूछकर ही करें। योग का असर तुरंत नहीं होता है। ऐसे में दवाएं भी तुरंत बंद न करें। जब बेहतर लगे, जांच भी कराते रहें, फिर उसके बाद ही डॉक्टर की सलाह से दवा बंद करें।

•योगासन का असर होने में थोड़ा वक्त लगता है। फौरन नतीजों की उम्मीद नहीं करें। कम-से-कम खुद को 6 माह का समय दें। फिर देखें-असर हुआ या नहीं।

•लोग बीमारी का इलाज भी योगासन से करते हैं और फिर योगासन छोड़ देते हैं। यह समझ लें-योगासन बीमारियों का इलाज करने के लिए नहीं है इसे लगातार करते रहें, ताकि भविष्य में आपको बीमारियां न हों।

Sadhak Anshit

Yoga Teacher

© 2019 By Sadhak Anshit

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