उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन


उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन वास्तव में मानसिक एकाग्रता तथा तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने का अभ्यास है. इसके अभ्यास से नितंब एवं पैर की मांसपेशियों में मजबूती आती है।

अत: यह अभ्यास उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है, जो स्कूल, कॉलेज जाते हैं या वैसे लोग जिनका मन काफी चंचल रहता है।


आसन की विधि : 

पैरों को एक-दूसरे के नजदीक रखते हुए खड़े हो जाएं।

अब शरीर को शांत व शिथिल बनाएं।

आँखें  खुली रखें तथा सामने किसी भी बिंदु पर दृष्टि केंद्रित करें।

अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए जांघ को छाती के अधिक-से-अधिक नजदीक ले आएं। दाहिने हाथ को मुड़े हुए पैर के बाहरी भाग की ओर रखें और पैर के अंगूठे को पकड़ लें। 

अब धीरे से दायें पैर को सीधा करें और उसे धीरे-धीरे ऊपर खींचते हुए शरीर के निकट लाने का प्रयास करें।

अभ्यास में संतुलन के लिए बायीं हाथ को बगल में ऊपर उठाएं और हाथ को चिन या ज्ञान मुद्रा में रखें।

अंतिम अवस्था में आप क्षमता के अनुसार रुकें, अब धीरे से दाहिने घुटने को मोड़ें, पैर के अंगूठे पर पकड़ ढीली करें और धीरे से पंजे को नीचे लाएं।

हाथों को शिथिल बनाएं, अब इसी अभ्यास की पुनरावृत्ति अपने दूसरे पैर से करें।

श्वसन की स्थिति जब आप हाथ से पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, उस समय श्वास लें।

उठे हुए पैर को सीधा करते समय श्वास छोड़ें और फिर लें।

पैर को ऊपर खींचते समय सांस छोड़ेंगे, अंतिम स्थिति में गहरी और लंबी सांस लें।

जब आप पुन: शुरुआती अवस्था में आने लगेंगे, तब सांस छोड़ें।


अभ्यास की अवधि:

यह अभ्यास दिखने में सरल है, किंतु नये अभ्यासी को शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।

अत: अंतिम स्थिति में एक मिनट तक रुकें।

किंतु जो लोग अंतिम स्थिति में ज्यादा देर तक नहीं रुक सकते हैं, वैसे लोग इस अभ्यास को प्रत्येक पैर से पांच बार तक दुहराएं।


सजगता: 

चूंकि यह एकाग्रता को बढ़ाने तथा मन को शांत रखने का अभ्यास है, अत: इसे करते समय हमेशा सामने किसी भी एक चीज या बिंदु पर दृष्टि को केंद्रित करें तथा पूरे अभ्यास के दौरान सजगता उसी बिंदु पर होनी चाहिए।

पूरे अभ्यास के दौरान आपकी आंखें खुली रहेंगी। 

सजगता पैरों में होनेवाली संवेदना पर रहनी चाहिए।

आध्यात्मिक स्तर पर आपकी सजगता मूलाधार या स्वाधिष्ठान चक्र पर होनी चाहिए।


पैरों की मांसपेशियों पर जोर न लगाएं. 

यदि मरीज घुटने या नितंब के दर्द से पीड़ित रहता हो, या जिन्हें दूर की चीजें दिखने में परेशानी हो, वैसे लोग यदि इस अभ्यास को नहीं ही करें, तो बेहतर होगा।

इस अभ्यास को यदि नियमित तौर पर किया जाये, तो एकाग्रता में अत्यधिक वृद्धि होती है, साथ ही पेशीय एवं तांत्रिकीय संतुलन में समन्वय स्थापित होता है, जिससे शरीर और मन के बीच तालमेल बढ़ता है, यही कारण है कि स्कूल और कॉलेज जानेवाले बच्चों को भी इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए।

वैसे लोग जो मानसिक तौर पर बहुत चंचल होते हैं उनकी मानसिक चंचलता को भी कम करता है. यह अभ्यास आपके पैरों की मांसपेशियों को काफी मजबूत एवं पुष्ट बनाता है.  

नोट : 

यह एक अत्यंत ही उत्तम अभ्यास है, इस अभ्यास को सफलतापूर्वक करने के लिए किसी योग्य एवं कुशल योग प्रशिक्षक का होना बहुत जरूरी है।

योगाभ्यास को कभी भी किसी से सुन कर या किताबों से पढ़ कर सीधे नहीं करना चाहिए, अत: कुशल मार्गदर्शन अत्यंत जरूरी है।


Tags:

post Best Yoga Classes in Kanpur Top Yoga Classes in Kanpur Best Yoga Center in Kanpur Yoga Classes in Kanpur Sadhak Anshit

Leave a Message

×
×
WhatsApp Google Map

Safety and Abuse Reporting

Thanks for being awesome!

We appreciate you contacting us. Our support will get back in touch with you soon!

Have a great day!

Are you sure you want to report abuse against this website?

Please note that your query will be processed only if we find it relevant. Rest all requests will be ignored. If you need help with the website, please login to your dashboard and connect to support

;