कर्ण पीड़ासन क्या है
कर्ण पीड़ासन एक योग है जोकि तीन शब्दों से मिलकर बना है कर्ण + पीड़ + आसन = कर्ण पीडासन जिसमें कर्ण = कान , पीड़ = दबाना और आसन = मुद्रा
मतलब इस आसन में घुटनों द्वारा दोनों कान दबाए जाते हैं। इसलिए इस आसन को कर्ण पीड़ासन के नाम से जाना जाता है । इस आसन को साफ-स्वच्छ जगह पर ही करना चाहिए।
कर्ण पीड़ासन योग करने की विधि
पहली स्थिति :- सबसे पहले स्वच्छ-साफ व हवादार स्थान पर दरी या चटाई बिछा कर उस पर पीठ के बल लेट जाएं।
दूसरी स्थिति :- अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ें और दोनों अपने दोनों हाथों को दोनों बगल में कमर के पास लगाकर सीधा रखें तथा हथेलियों को नीचे की तरफ करके रखें।
तीसरी स्थिति :- फिर अपने दोनों पैरों को एक साथ उठाकर धीरे-धीरे ऊपर सिर की ओर लाएं।
चौथी स्थिति :- अब दोनों पैरों को दोनों कान से सटाकर सिर के दोनों ओर रखें तथा पंजे व घुटनों को नीचे फर्श से टिकाकर रखें। इस स्थिति में 10-12 सेकंड तक रहे।
पांचवी स्थिति :- अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं और कुछ सेकंड तक आराम करें और इसके बाद फिर इस क्रिया को करें। इस क्रिया को प्रतिदिन 5-7 बार करने का जरूर प्रयास करें।
कर्ण पीड़ासन योग करने का समय
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 5-10 बार करे।
कर्ण पीड़ासन योग के फयदे
1. इस योग को करने से पूरा शरीर स्वस्थ रहता है ।
2. शरीर से आलस्य खत्म होता है ।
3. पाचन तन्त्र मजबूत होता है ।
4. सुषुम्ना में मौजूद सभी नाड़ियों जागृत हो जाती है ।
5. स्नायु तंत्र मजबूत होता है।
कर्ण पीड़ासन योग करते समय सावधानी
1. योग हमेशा खाली पेट करना चाहिए ।
2. पैरों को झटके से ऊपर नहीं ले जाना चाहिए।
3. शुरुआत में यह योग धीरे – धीरे बढ़ाना चाहिए।
4. गर्दन में मोच आने पर यह योग नहीं करना चाहिए।
We appreciate you contacting us. Our support will get back in touch with you soon!
Have a great day!
Please note that your query will be processed only if we find it relevant. Rest all requests will be ignored. If you need help with the website, please login to your dashboard and connect to support