सभी सूक्ष्म व्यायाम के नाम एवं विधि - साधक अंशित

By Sadhak Anshit Yoga Classes
27th May, 2020

सूक्ष्म योग को अलग से कोई तैयारी और समय की आवश्यकता नहीं हैं। ये छोटॆ योग अभ्यास शरीर में तीव्र ऊर्जा द्वार खोल देते हैं और इनके छोटे अभ्यास सत्र  में आप अत्यधिक स्पष्ट फर्क महसूस कर सकते हैं।

योग में सूक्ष्म व्यायाम का काफी महत्व है ,मानव शरीर के प्रत्येक जोड़ में लोच अर्थात लचीलेपन का होना आवश्यक है,इसलिए शरीर के प्रत्येक अंग के लिए यौगिक सूक्ष्म व्यायाम बनाया गया है|आज के आधुनिक जीवनशैली में जहां एक तरफ व्यक्ति अपने कार्य में घिरा हुआ है,वही तनाव भरे हुए इस माहौल में अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने दिनचर्या में सूक्ष्म यौगिक व्यायाम का अभ्यास करें तो व्यक्ति का शरीर रोगमुक्त हो सकता है।

स्वास्थ्य की रक्षा में सूक्ष्म एवं स्थूल योग व्यायाम क्रियाओं का बड़ा महत्व है। ये शरीर की मलिनता दूर कर, शरीर के सभी अंगों को स्फूर्ति प्रदान करते हैं।

सूक्ष्म एवं स्थूल योग व्यायाम से शरीर में रक्त प्रवाह शरीर के हर अंग तक होने लगता है जिससे हमें अन्य शारीरिक क्रियाएं (योगासन) करनें में आसानी हो जाती है और हम योगासनों को अच्छी तरह से कर पाते हैं।

सूक्ष्म एवं स्थूल योग क्रियाएं बैठ कर एवं खड़े होकर दोनों प्रकार से करीं जा सकती हैं। जो खड़े होकर तथा नीचे नहीं बैठकर कर सकते हैं वे कुर्सी या खाट पर बैठकर कर सकते हैं। मन को लीन करें तो पूरा लाभ मिलेगा।

जीवन में सूक्ष्म व्यायाम का बड़ा महत्व है। इसके सूक्ष्म नामकरण से इन्हें छोटा न समझें। सूक्ष्म व्यायाम करने में योग व प्राणायाम स्वतः ही हो जाते है। यह योग व प्राणायाम का राजा है। इनकी जीवन में बड़ी भूमिका है। वैसे योगासन व प्राणायाम के लिए पूर्व तैयारी में इनको करते है। सूक्ष्म व्यायाम पूरी तरह कर ले तो इनकी पूर्ति हो जाती है। लेकिन पूरी तरह शरीर के प्रत्येक अंग हेतु इसे कर लेे व अन्य योग न कर पाए तो चलेगा। तभी तो योगी लोग इनके करने पर अत्यधिक बल देते है। वृद्ध एवं रोगी भी सूक्ष्म व्यायाम कर सकता है।

इसे प्रतिदिन करना शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी है। इनको करने पर इनके लाभ बड़े-बड़े है। ये शरीर के जोड़ों की जड़ता को तोड़ते है। जोड़ो को घुमाने से स्फूर्ति पैदा होती है। व जोड़ बेहतर तरीकेे काम करने लगते है। इस तरह के संचालन से अंग स्वस्थ होते है। अन्दरुनी अवयवों को सूक्ष्मता से संतुलित करते है, इसलिए इन्हें सूक्ष्म व्यायाम कहाँ जाता हैै। शरीर के सभी जोड़ों व घूमावों की जड़ता को तोड़ते है। जोड़ों में लोच बढ़ाते है। मांसपेशियों के खींचाव को कम कर उन्हें नरम करते है। सूक्ष्म व्यायाम से जोड़ो को बल मिलता है। शरीर में व्याप्त अकड़न-जकड़न कम होती है। तन में व्याप्त जड़ता मिटती है। शरीर हल्का होता है व जोश बढ़ता है।

गर्दन घुमाना, आँखें घुमाना, कंधे घुमाना ,हाथ घुमाना, कलाई घुमाना, मुट्ठियां बन्द करना व खोलना, कमर घुमाना, घुटने घुमाना, पंजे घुमाना व इन्हें ऊपर-नीचे करने को सूक्ष्म व्यायाम कहते है।

सामान्यतः फिजिओथिरापिस्ट अंग विशेष में आई विशेष कमजोरी दूर करने हेतु सूक्ष्म व्यायाम ही तो कराते है। आजकल स्त्रियों के जोड़ों, कमर व पीठ दर्द को ठीक करने में सूक्ष्म व्यायाम सहायक है।

सूक्ष्म व्यायाम कहीं भी किए जा सकते हैं इस हेतु किसी तैयारी, जगह या प्रशिक्षक की जरुरत नहीं है। ये सरल होेते है। सभी योगाचार्य इसे कराते है। साधक अंशित जी से लेकर बाबा  रामदेव तक इन्हें अन्य कठिन योग न कर पाने की स्थिति में प्रतिदिन करने पर बल देते है। जब अन्य व्यायाम न कर सको तो सूक्ष्म व्यायाम जरुर करने चाहिए। वरन् कठोर व्यायाम करने के पहले सूक्ष्म व्यायाम करने चाहिए।

सूक्ष्म व्यायाम सबसेलाभकारी मन गया है। आयुर्वेंद, एलोपैथी न होम्योपैथी न ही योग सूक्ष्म व्यायाम सर्वश्रेष्ठ है।

सूक्ष्म एवं स्थूल योग क्रियाओं का संबंध शरीर के अवयवों से रहता है। इसलिए अवयवों के क्रम के अनुसार, सूक्ष्मयोग तथा स्थूलयोग क्रियाओं का संक्षेप में विवरण यहाँ इस वीडियो में प्रस्तुत किया जा रहा है????


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