अपने शरीर को प्रेम करें

By Sadhak Anshit Yoga Classes
5th January, 2019

शरीर और मन को यंत्र की तरह चलाते रहने में हम खुद को भी भूले रहते हैं। यंत्रवत जीवन शैली के चलते व्यक्ति सेहत के प्रति तो लापरवाह रहता ही है साथ ही वह खुद (आत्मा) क्या है यह भी भूलकर बेहोशी में ही जीवन गुजार देता है। जो लोग यह समझते हैं कि हम होश में जी रहे हैं उन्हें होश के स्तर का शायद ही पता हो। हम यहां शरीर से प्यार करने का एक छोटा से योगा टिप्स बताना चाहते हैं । 

कभी कभी आपको लगता होगा कि अरे! कैसे वक्त गुजर गया पता ही ‍नहीं चला। कभी लोगों को गौर से देखना वे किस तरह यंत्रवत काम कर रहे हैं। योग इस यंत्रवत जीवन के खिलाफ है। यम, नियम, योगासन, प्राणायाम और ध्यान से यह यंत्रवत जीवन शैली खत्म हो जाती है और व्यक्ति के होश का स्तर बढ़ जाता है। फिर उसे शरीर और मन की हर हरकत का ध्यान रहता है। 

हालांकि योग कहता है कि सेहत पाना हो या फिर मोक्ष- सबसे पहले शरीर को ही साधना होगा। इसीलिए योगासन किए जाते हैं। शरीर को साधने के पहले क्या आपने कभी स्वयं के शरीर से प्यार किया है? 

यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। लोग अपने अपनों से प्यार जरूर करते होंगे लेकिन खुद से प्यार करना भी जरूरी है। 

सचमुच ही दुनिया की सबसे बड़ी दौलत तो आपका शरीर ही है और आप मन के पीछे भागते रहते हैं। जरा शरीर की भी तो खैर खबर लें। जब रोग होता है तभी शरीर के होने का पता चलता है, तभी उसकी याद आती है। लोग शरीर में सिर्फ चेहरे की ही देखरेख करते हैं बाकी अंग तो सभी उपेक्षा के शिकार हैं। 

ऐसे करें शरीर से प्यार :

कभी शरीर को दर्पण के सामने खड़े होकर निहारें और सचमुच ही उसका सम्मान करें। कभी दाएं हाथ से बाएं हाथ को छूकर प्यार करें, फिर बांए से दाएं को। इसी तरह पैरों को एक दूसरे से छूकर प्यार करें। दाएं कंधे को बाएं हाथ से और बाएं कंधे को दाएं हाथों की हथेलियों से छूकर दबाएं और सहलाएं। इसी तरह चेहरे को और फिर अन्य अंगों को छूकर उन्हें प्यार करें। यह कारगर स्पर्श योगा है। 

शरीर को बचाएं कष्टों से :

शरीर को हर तरह के कष्टों से बचाने का प्रयास करें- जैसे धूल, धुंवा, प्रदूषण, तेज धूप, ठंड, गलत खानपान आदि। खासकर शरीर मन के कष्टों से बहुत प्रभावित होता है। योग में कहा गया है कि क्लेश से दुख उत्पन्न होता है दुख से शरीर रुग्ण होता है। रुग्णता से स्वास्थ्य और सौंदर्य नष्ट होने लगता है। 

तो शरीर को प्रतिदिन प्यार करें, दुलार करें और उसे हर तरह के कष्टों से बचाएं । सचमुच दवा से ज्यादा असर इस प्यार में हैं। 

इसके अलावा इन योग-नियम तथा आहार का भी पालन करें.... 

आहार :

पानी का अधिकाधिक सेवन करें, ताजा फलों के जूस, दही की छाछ, आम का पना, इमली का खट्टा-मीठा जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा, बेल तथा पुदीने का भरपूर सेवन करते हुए मसालेदार, नमक, चीनी तथा तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें। 

योगासन एवं ध्यान :

नौकासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा, पश्चिमोत्तनासन, सूर्य नमस्कार। प्राणायम में शीतली, भ्रामरी और भस्त्रिका या यह नहीं करें तो नाड़ी शोधन नियमित करें। सूत्र और जल नेति का अभ्यास करें। मूलबंध, जालंधर बंधऔर उड्डीयन बंध का प्रयोग भी लाभदायक है तथा बीस मिनट का ध्यान भी अवश्य करें। 

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